नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा योग, Nasikagra Drishti

Nasikagra Drishti - Nose Tip Gazing Mudra | Yogic Way Of Life

नासिकाग्र का अर्थ होता है नाक का आख‍िरी छोर, ऊपरी हिस्सा या अग्रभाग। इस भाग पर बारी-बारी से संतुलन बनाने हुए देखना ही नाकिकाग्र कहलाता है। लेकिन यह मुद्रा करने से पहले योग शिक्षक की सलाह जरूर लें, क्योंकि इसके करने से भृकुटी पर जोर पड़ता है।
नासिकाग्र दृष्टि मुद्रा योग, Nasikagra Drishti


मुद्रा की विधि- किसी भी आसन में बैठकर नाक के आखिरी सिरे पर नजरे टिका लें। हो सकता है कि पहले आप बाईं आंखों से उसे देख पाएं तब कुछ देर बाद दाईं आंखों से देखें। इस देखने में जरा भी तनाव न हो। सहजता से इसे देखें।

अवधि- इस मुद्रा को इतनी देर तक करना चाहिए कि आंखों पर इसका ज्यादा दबाव नहीं पड़ें फिर धीरे-धीरे इसे करने का समय बढ़ाते जाएं।

इसका लाभ- इससे जहां आंखों की एक्सरसाइज होती है वहीं यह मस्तिष्क के लिए भी लाभदायक है। इससे मन में एकाग्रता बढ़ती है। इस मुद्रा के लगातार अभ्यास करने से मूलाधार चक्र जाग्रत होने लगता है जिससे कुण्डलीनी जागरण में मदद मिलती है। इससे मूलाधार चक्र इसलिए जाग्रत होता है क्योंकि दोनों आंखों के बीच ही स्थित है इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी जो मूलाधार तक गई है।
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